वन उपवन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान॥ अब विलम्ब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अन्तर्यामी । उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई, पांय परौं कर जोरि मनाई । कंचन थार कपूर लौ छाई।आरती करत अंजना माई॥ https://manuelpqokg.blogolenta.com/29694642/a-simple-key-for-hanuman-chalisa-unveiled